Tuesday, 6 July 2021

भोपाल जलियांवाला हत्याकांड

भोपाल। आजादी के लिए संघर्ष कर रहे लोगाें को गोलियों से छलनी करने वाले जलियांवाला हत्याकांड की कहानी तो आप सबने सुनी होगी। ठीक वैसा ही एक हत्याकांड भारत के आजाद होने के बाद भोपाल के पास नर्मदा तट पर हुआ था, जब तिरंगा फहराने जा रहे छह युवकों को नवाब ने अपनी पुलिस से गोलियों से भुनवा दिया था। क्यों हुआ था ये हत्याकांड?...
दरअसल, 15 अगस्त 1947 को भारत तो आजाद हो गया था, लेकिन भोपाल रियासत उस समय भारत में शामिल नहीं हुई थी। यहां के लोग रियासत का भारत में विलय के लिए आंदोलन कर रहे थे, उसी से नाराज होकर नवाब ने यह कार्रवाई की थी। 1 जून 1949 को भोपाल भारत में शामिल हुआ था
यहां हुआ था हत्याकांड

भोपाल के पास रायसेन जिले में नर्मदा तट पर बोरास गांव है। भोपाल में विलीनीकरण आंदोलन चल रहा था। जगह-जगह शांतिपूर्वक आंदोलन के जरिये भारत का राष्ट्रीय ध्वज फहराया जा रहा था। बोरास में भी यही किया जाना था। 14 जनवरी 1949 को बोरास में मकर सक्रांति का मेला भरा था। इस मेले में तिरंगा फहराने का निर्णय लिया गया। छह युवक तिरंगा फहराने के लिए आए। पुलिस ने पहले उन्हें मना किया, लेकिन वे नहीं माने। पुलिस ने इसकी जानकारी भोपाल पुलिस के डीआईजी और भोपाल के प्रधानमंत्री को दी। इसके कुछ ही देर बाद तिरंगा फहराने जा रहे छह युवकों को एक-एक करके गोली से भून दिया गया। मेले में भगदड़ मच गई और तिरंगा फहराने जा रहे युवक शहीद हो गए।


गोली लगने के बाद भी तिरंगा नहीं गिरने दिया
बताया जाता है कि गोली लगने के बाद भी शहीदों ने तिरंगे को जमीन पर नहीं गिरने दिया। उस समय प्रकाशित होने वाले अखबार नई राह के मुताबिक 16 वर्षीय धनसिंह जब वंदेमातरम गाते हुए तिरंगा फहराने जा रहा था, तो तत्कालीन थानेदार जाफर ने उसे गीत गाने से मना किया। धनसिंह नहीं माने और तिरंगा फहराने के लिए आगे बढ़े, तो उन्हें गोली मार दी गई। धनसिंह के जमीन पर गिरने से पहले मंगलसिंह नामक किसान ने झंडा थाम लिया। मंगलसिंह को गोली मारी गई, ताे युवक विशाल ने झंडा थाम लिया। विशाल को भी गोली मार दी गई। तिंरगा झंडा तीनों लोगों के खून से लथपथ हो चुका था। विशाल जमीन पर गिरता, इससे पहले उसने डंडे में से झंडा निकालकर अपनी जेब में रख लिया। इसके अलावा तीन और लोगों को भी गोली मारी गई।

नवाबकाल की उल्टी गिनती शुरू
इस घटना के बाद देशभर में भोपाल नवाब के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुआ। भारत के तत्कालीन गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने मामले में हस्तक्षेप करते हुए अपने सचिव वीपी मेनन को तत्काल भोपाल भेजा और नवाब पर दबाव डाला कि वे अपने प्रधानमंत्री का तुरंत इस्तीफा लें। इस घटना का व्यापक असर हुआ। घटना के बाद स्वतंत्र देश का सपना देख रहे भोपाल नवाब हमीदुल्ला खां की सत्ता पर से पकड़ ढीली होती गई और अंतत: उन्होंने भोपाल का भारत में विलय के समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए। 1 जून 1949 को भोपाल भारत देश का अंग बना।

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