लोकतंत्र का क्या केवल एक ही पहलू है राजनैतिक लोकतंत्र क्या आर्थिक लोकतंत्र नाम कि कोई चीज होती ही नही है इस बात को बोलकर केवल लोकतंत्र का मजाक ही उड़ाया जा सकता पण्डित दीन दयाल उपध्याय जी के शब्दों में जिस प्रकार प्रत्येक को वोट राजनैतिक लोकतंत्र का अर्थ है उसी प्रकार प्रत्येक को काम आर्थिक लोकतंत्र का मापदण्ड है फिर भी आर्थिक असमानता और भुकमरी जैसी समस्या हमारे देश में चरम पर है लोहिया जी का वाक्य -जब सड़के सुनसान हो जाती है तो संसद आवारा हो जाती है वाक्य इस समय एकदम सही है। (कोई देश परफैक्ट नही होता हमे उसे परफैक्ट बनाना पड़ता है)
Monday, 16 January 2017
Sunday, 15 January 2017
Imaginary power
नेपोलियन -कल्पनाये विश्व पर शासन करती हैं।।
----जब मनुष्य अपनी भावनाओ से प्रेरित होकर काम करता है तो उसके जुनून की एक सीमा होती है, परन्तु जब वह कल्पना से प्रेरित होकर काम करता है तो उसके जुनून की कोई सीमा नही होती।।। और यह कथन राष्ट्रीय चेतना के लिए कहा जाए तो सुभासचन्द्र बॉस जैसे लाखों बीरो की गाथाए हमारे सामने है।।।।जय हिन्द।।
किसी ने सच ही कहा है कि कल्पना कर पाना ही सब कुछ, कल्पना न कर पाना जीवन का अंत।।
independent thinking
बोल के लव आजाद हैं तेरे , बोल जबा अब तक तेरी है ।।।।।
आज मनुष्य स्वतंत्र होने में डरता है क्योंकि स्वतंत्र मनुष्य की कुछ जिम्मेदारी होती है और जो इन जिम्मेदारी को नही निभाना चाहिता बो अपनी स्वतंत्रता का सौदा करता है और अपना दायित्व वह दुसरो के हाथो में बेच कर अपनी दुनिया में निश्चित हो जाता है और इस प्रकार एक स्वतंत्र व्यक्ति भी गुलाम हो जाता है जो लोग आज जॉब से अपना जीवन सेव समझ रहे है बो अपनी रचनात्मक प्रतिभा को खो रहे है जय हिन्द।।।।।
आज मनुष्य स्वतंत्र होने में डरता है क्योंकि स्वतंत्र मनुष्य की कुछ जिम्मेदारी होती है और जो इन जिम्मेदारी को नही निभाना चाहिता बो अपनी स्वतंत्रता का सौदा करता है और अपना दायित्व वह दुसरो के हाथो में बेच कर अपनी दुनिया में निश्चित हो जाता है और इस प्रकार एक स्वतंत्र व्यक्ति भी गुलाम हो जाता है जो लोग आज जॉब से अपना जीवन सेव समझ रहे है बो अपनी रचनात्मक प्रतिभा को खो रहे है जय हिन्द।।।।।
Saturday, 14 January 2017
political views
हमे भारत को महान से महानतम और उच्च से सर्वोच्च की ओर ले जाना है ## नेतत्व की समीक्षा -इतिहास एक ऐसा विषय है जिसकी समीक्षा हमे एक न्यू इतिहास बनाने में सहायक होती है और इसका उपयोग राजनेता समाज को आंदोलित और समाज के लोगो में रक्त के प्रवाह को दोगुना करने में सहायक होता है बस नेतत्व को चाहिए की इतिहास की ऐसी व्याख़्या की जाए जो समाज को अपने गौरव पूर्ण अतीत की याद दिलाए और गौरवान्वित करने का श्रेय ले जाए और परिवर्तन की ओर कदम बढ़ाए और समाज परिवर्तन की दिशा को अपनाता है और नेतत्व इतिहास का परिचायक होता है ##adesh rajpoot स्वतन्त्र चिंतक ##